PranayamaPranayama are respiration exercises developed by The traditional yogis for purification. Prana interprets into “existence drive Vitality” and Yama translates into “Handle or mastery of”. Hence, Pranyama is applied to control, cultivate, and modify the Prana in the human body. Prana is taken in with the air we breathe, and For the reason that pranayama exercises improve the level of air we consider in, they also raise our ingestion of Prana.
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज ने श्री विभीषण जी को शरणागत होने का मन्त्र दिया था, जिसके फलस्वरूप वे लंका के राजा हो गये।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
भावार्थ – आपकी शरण में आये हुए भक्त को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं। आप जिस के रक्षक हैं उसे किसी भी व्यक्ति या वस्तु का भय नहीं रहता है।
व्याख्या – सामान्यतः जब किसी से कोई कार्य सिद्ध करना हो तो उसके सुपरिचित, इष्ट अथवा पूज्य का नाम लेकर उससे मिलने पर कार्य की सिद्धि होने में देर नहीं लगती। अतः यहाँ श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये भगवान श्री राम, माता अंजनी तथा पिता पवनदेव का नाम लिया गया।
भावार्थ– आप साधु–संत की रक्षा करने वाले हैं, राक्षसों का संहार करने वाले हैं और श्री राम जी के अति प्रिय हैं।
This sacred text is written in Awadhi, a language closely associated with Hindi. The Hanuman Chalisa is made up of 40 verses, Just about every referred to as a “chaupai” and two introductory couplets named “dohas.” The phrase “Chalisa” is derived with the Hindi word “chalis,” which means forty.
बालाजी आरती
सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।
साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकन्दन राम दुलारे॥
तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥ और मनोरथ जो कोई लावै ।
Carrying the ring of Lord Ram as part of your mouth no wonder which you crossed the ocean effortlessly as a consequence of your electric power. Durgaam kaj jagat ke jete । Sugam anugraha tumhre tete ॥20॥ indicating
सुग्रीव बालि के भय से व्याकुल रहता here था और उसका सर्वस्व हरण कर लिया गया था। भगवान् श्री राम ने उसका गया हुआ राज्य वापस दिलवा दिया तथा उसे भय–रहित कर दिया। श्री हनुमान जी ने ही सुग्रीव की मित्रता भगवान् राम से करायी।